माँ तुम और नैनीताल का मौसम, मेरे बहुत करीब हो! तुम सर्दी की गुनगुनी धूप सी हो कभी, और कभी जून की किसी शाम, माल रोड में चिनार के पेड़ों को छूंकर , बहती ताजी हवा सी लगती हो! कभी बरसातों की ठंडक हो, कभी फागुन के रंग में रंगी प्रकृति का रूप हो! माँ तुम और नैनीताल का मौसम जैसे एक दूसरे को अच्छे से समझते हो! याद है मुझे, जब बरसातों में लगातार बारिश के बाद, कुछ धूप निकलती थी, तब सुबह से शाम जाने कितने दिनों तक तुम, घर के सारे रज़ाई कंबल, सब बारी बारी से धूप में डालती थी, ताकि सीलन की अजीब गंध दूर हो सके! दिन भर थका देने वाले इस काम के बाद, जो नींद तुम्हारी वजह से मिलती थी ना, वो अनमोल थी! आज जब मुझे मालूम पड़ा कि कई दिनों की बारिश के बाद धूप आई है, तब मैं समझ गई कि, आज तो नैनीताल में तुम्हारे लिए, चौमास में असोज लगा होगा! और आज मैं फिर से नरम एहसास को महसूस कर, बचपन वाली अच्छी नींद सो जाऊँगी! ... Durga