Wednesday, August 27, 2025

अविस्मरणीय मोड़

 अविस्मरणीय मोड़ 


ना जाने कितने खूबसूरत रास्तों से, 

हम गुज़रते चले जाते हैं,

हर बार सफ़र पूरा होता है,

मंज़िल तक पहुँच भी जाते हैं।


फिर नई राहों पर कदम बढ़ते हैं,

नई मंज़िल की तलाश में।

पर जाने क्यूँ.. 

कुछ मोड़ कभी भुलाए नहीं जाते।


शायद इसलिए कि उन मोड़ों पर, 

जो सुकून मिलता है,

वो न तो रंगीन राहों में मिलता है,

न ही मंज़िल की जीत में।

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हाइकु सफ़र

    कहां मंजिल     है किसको खबर      लंबी डगर ****'' '' '********' '' '' '' *********'...