Saturday, February 13, 2021

पहाड़






पहाड़ों को, 

पहाड़ जैसे ज़ख्म देकर, 

तुम सोचते हो, 

कि पहाड़ कुछ न कहेंगे? 

ख़ामोश रहेंगे? 

थोड़ा आंसू क्या बहाए पहाड़ ने, 

इंसान तिनके सा बह गए,

खो गई वादियाँ, 

मुड़ गई नदियां! 

सोचो,..... 

जब ख़ामोशी तोड़ेंगे पहाड़, 

तब क्या रह जाएगा?


... Durga

2 comments:

arun said...

सही बात है। सबको अनसुना कर सरकारों द्वारा इस प्रकार की थोपी गई ‌विकास के विरोध में प्रकृति का जवाब है यह।

Durga said...

शुक्रिया comment करने के लिए.

हाइकु सफ़र

    कहां मंजिल     है किसको खबर      लंबी डगर ****'' '' '********' '' '' '' *********'...