हम हारे नहीं हैं




काल बना  विकराल, 

ठाए अपना भाल, 

मचा रहा  हाहाकार, 

हम थके हैं, 

थक कर गिरे हैं, 

पर इस काल से डरकर हम झुके नहीं है! 

फैल रहा अंधकार, 

हर तरफ़ लोगों की करुण पुकार, 

दे रही मानवता का कलेजा फाड़, 

हम थके हैं, 

थक कर रुके हैं, 

पर इस काल से डरकर हम पीछे मुड़े नहीं हैं! 

इसे खत्म होना होगा, 

क्योंकि..... 

इस से डरकर हम अब तक हारे नहीं हैं! 


... Durga















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