वो पल जिन्दगी थे
जिन्दगी...जिसे सोचने में एक पल लगता है, जीने में उम्र लग जाती है। हर दिन बीते हुए दिन से बेहतर कैसे जिएं इसी सोच में पल निकल जाते हैं और जब हम मुड़कर देखते हैं तो पाते हैं कि जिन पलों को हम तलाश करते फिर रहे थे वो तो हमारे हाथ छूं कर निकल भी गए। वो ही तो थे जिस पल हम और ज्यादा खुश हो सकते थे, जब हम अपने रूठे लोगों को मना सकते थे,वही तो पल थे जिसे हम हमेशा से जीना चाहते थे। वो पल जिन्दगी थे।
बहुत आगे निकल आए हैं अब पीछे जाना मुमकिन नहीं। अब तक खुशियों की तलाश में आगे भागते रहे और अब उन्हीं पलों को समेटने रूक कर पीछे भागना चाहते हैं...अब भी सोच रहे हैं काश वो वक्त वो पल एक बार लौट आता, इसी सोच में फिर से आज का एक और बेहतरीन पल याद बनने जा रहा है...
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