Thursday, April 12, 2018

बहुत नासमझ हूँ

बहुत नासमझ हूँ ...
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी ढूंढती हूँ।
सहरा में समंदर ...
अंधेरों में रौशनी ढूंढती हूँ।
आँखों में ख़ुशी ...
दिलों में सच्चाई ढूंढती हूँ।
शख्सियत में ईमान ...
मुखौटों में इंसान ढूंढती हूँ।
बहुत नासमझ हूँ ...
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी ढूंढती हूँ

... Durga

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