हो तो यूँ भी सकता था
कि मैं नदी सी बहती
तुम किनारा बन
मेरे साथ साथ चल सकते थे!
मगर तुम पुल बने रहे
दूर खड़े रहे
और मैं निकल गई
तुमसे काफी दूर अकेले!
मै हर पल तुम्हें स्पर्श कर
बहती रही अपनी दिशा में
और तुम देखते रहे मुझे
हर पल दूर जाते हुए!
हो तो यूँ भी सकता था
कि किनारा नहीं तो
तिनका बन कर ही सही
मेरे साथ बह सकते थे!
लेकिन ऐसा होना
शायद संभव ही न था,
क्यूँकि तुम
पुल और तिनके का
गणित
अच्छे से जानते थे!
... Durga

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