तरह तरह के मोड़ आते हैं जीवन में! मोड़ के आगे क्या है किसी को नहीं पता! पर जब निकल ही पड़े हैं सफ़र पर, तो रास्ते में कितने भी मोड़ आएं क्या घबराना! कोई साथ दे न दे आप आहिस्ता आहिस्ता चलते जाइए! मंजिल तक जरूर पहुंचेंगे...
कभी कभी, सिर्फ महसूस करना, शामिल होने से, बेहतर होता है! शायद इसीलिए, हमने भी, बहुत दूर से, छुप छुप कर देखा है, कई बार, जिंदगी तेरे कई रंगों को! ... Durga
तृतीय ज्योतिर्लिंग महाकाल या ‘महाकालेश्वर’ - यह स्थान मध्य प्रदेश के उज्जैन में है, जिसे प्राचीन काल में उज्जयिनी, इसे अवंतिकापुरी भी कहते थे। यह भारत की सप्तपुरियों में से एक है।यह सभी ज्योतिर्लिंगों में अकेला दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योर्तिलिंग की दो कथाएं प्रचालित हैं। पहली कथा ये है कि... प्राचीनकाल में उज्जयिनी में परम शिव भक्त, राजा चंद्रसेन राज करते थे। राजा प्रतिदिन की तरह शिवपूजा में लीन थे, तभी श्रीकर नामक ग्वाल बालक उधर से गुजरा। राजा का शिवपूजन देखकर उसे बहुत आश्चर्य और जिज्ञासा हुई। वह स्वयं उसी प्रकार की सामग्रियों से शिवपूजन करने की सोचने लगा। गरीब होने के कारण वही सारी सामग्री नहीं जुटा सकता था तो उसने घर जाते समय एक पत्थर उठाया। घर आकर उसी पत्थर को शिव रूप में स्थापित कर पुष्प, चंदन से श्रद्धापूर्वक उसकी पूजा करने लगा। माँ ने भोजन करने के लिए आवाज लगाई पर पूजा में ध्यान मग्न होने के कारण बालक ने माता की आवाज नहीं सुनी। जब बार बार पुकारने पर भी बालक नहीं आया, तब माता ने क्रोधित होकर पत्थर का वह टुकड़ा उठाकर फेंक दिया। इससे बालक बहुत दुखी हुआ और भगवान...
द्वितीय ज्योतिर्लिंग... मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: आन्ध्र प्रदेश आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं! पार्वती जी का नाम मल्लिका देवी भी है और शिव जी का नाम अर्जुन है! इसलिए इस स्थान का नाम मल्लिकार्जुन पड़ा! इसके पीछे की कहानी यह है कि गणेश और कार्तिकेय दोनों चाहते थे कि उनका विवाह पहले हो, इसी विवाद को सुलझाने के लिए एक बार भगवान शिव ने कार्तिकेय और गणेश को कहा कि जो पृथ्वी का चक्कर सबसे पहले लगा कर आएगा उसका विवाह पहले किया जाएगा! अब कार्तिकेय तो निकल पड़े यात्रा पर परंतु गणेश जी मोटे शरीर की वजह से नहीं जा पाए लेकिन उन्होने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और अपने माता पिता अर्थात भगवान शिव और पार्वती के चारों तरफ साथ चक्कर लगा लिए! इस से शिव पार्वती प्रसन्न हुए और उन्होने गणेश जी का विवाह रिद्धि सिद्धि के साथ कर दिया! कार्तिकेय ने वापस लौट कर यह देखा तो वे नाराज हो कर कौंच पर्वत पर चले गये। शिव पार्वती उन्हे मनाने वहां पहुँचे किन्तु उनके आने का समाचार सुनकर वहां से भी चले गये! क...
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