द्वितीय ज्योतिर्लिंग.. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
द्वितीय ज्योतिर्लिंग...
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: आन्ध्र प्रदेश
आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं! पार्वती जी का नाम मल्लिका देवी भी है और शिव जी का नाम अर्जुन है! इसलिए इस स्थान का नाम मल्लिकार्जुन पड़ा!
इसके पीछे की कहानी यह है कि गणेश और कार्तिकेय दोनों चाहते थे कि उनका विवाह पहले हो, इसी विवाद को सुलझाने के लिए एक बार भगवान शिव ने कार्तिकेय और गणेश को कहा कि जो पृथ्वी का चक्कर सबसे पहले लगा कर आएगा उसका विवाह पहले किया जाएगा! अब कार्तिकेय तो निकल पड़े यात्रा पर परंतु गणेश जी मोटे शरीर की वजह से नहीं जा पाए लेकिन उन्होने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और अपने माता पिता अर्थात भगवान शिव और पार्वती के चारों तरफ साथ चक्कर लगा लिए! इस से शिव पार्वती प्रसन्न हुए और उन्होने गणेश जी का विवाह रिद्धि सिद्धि के साथ कर दिया! कार्तिकेय ने वापस लौट कर यह देखा तो वे नाराज हो कर कौंच पर्वत पर चले गये। शिव पार्वती उन्हे मनाने वहां पहुँचे किन्तु उनके आने का समाचार सुनकर वहां से भी चले गये! कौंच पर्वत पर ही शंकर ज्योतिर्लिंग के रूप मे प्रकट हुए थे और यह ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप मे प्रसिद्ध हुआ।
महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है!
ऐसी मान्यता है, कि इस पर्वत के शिखर के दूर से दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट, पाप नष्ट हो जाते है!
ॐ नमः शिवाय!
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