सब लिखो


वही देखो जितने से,
खुद को खुशी मिले!
फिर चाहे अनदेखा किया हुआ,
कितने ही दुख में क्यूँ ना हो!
उतना ही सुनो,
जितना तुम्हारे लिए फायदे का हो!
फिर चाहे अनसुना किया हुआ,
कितनी ही बार मदद को पुकारे!
उतना काम अपने लिए करो,
जितने से खुद की जीत हो,
फिर चाहे हारने वाला,
अपना ही क्यूँ ना हो!
बस खुद को केंद्र में रखो,
फिर चाहे चारों ओर,
हाहाकार या चीख पुकार क्यूँ ना!
देखा अनदेखा, सुना अनसुना,
सब लिख लो,
धरती का रोना,
समाज का सोना,
बच्चों के लिए महान विरासत का,
केवल छोटा कोई कोना,
सब लिखो...
सबका सुंदर छायांकन करो,
किताबों के किसी पन्ने पर,
अखबारों के छोटे से मुड़े हुए किनारे पर,
छाप सको उतना समेटो,
और मुक्त हो जाओ,
सभी जिम्मेदारियों से....!

...Durga

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