किसको छलने जाते हो..
बेटी होने पर पछताते हो ज़माने भर के ताने सुनाते हो फिर जय माता दी कहकर किसको छलने जाते हो बेटे की चाह में अंधे तक हो जाते हो कितनी ही नन्ही जानों को कोख में ही मरवाते हो फिर जय माता दी कहकर किसको छलने जाते हो परस्त्री से मोह जताते हो अपनों से भेद छुपाते हो फिर जय माता दी कहकर किसको छलने जाते हो बहू को अपनी पराई बेटी कहते हो उसके लिए माया ममता सब भुलाते हो फिर जय माता दी कहकर किसकी छलने जाते हो घर में बूढ़े, बुजुर्गों को बेवजह ही सताते हो एक क्षण भी प्रेम से दो शब्द न कह पाते हो फिर जय माता दी कहकर किसको छलने जाते हो बोल घमंड के दिन रात बोलते हो तुमसे बेहतर हम है यही हर पल दिखाते हो फिर जय माता दी कहकर किसको छलने जाते हो झूठ कपट, बेईमानी में साल बिता देते हो मौसम की तरह मुखौटा हर बार चढ़ा लेते हो फिर जय माता दी कहकर किसको छलने जाते हो ... Durga