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Showing posts from April, 2018

कोप भवन

     सुना था राजा दशरथ के महल में एक कोप भवन होता था। ताकि जिसे भी शिकवा, शिकायत, नाराज़गी हो वो कोप भवन में जा कर रह सके। वहां पर जाकर राजपरिवार के कुपित सदस्य अपने कोप का प्रदर्शन किया करते थे। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। मगर नकारात्‍मक ऊर्जा बाहर के माहोल को खराब ना करे ये कारण होगा शायद कोप भवन बनाने के पीछे ऐसा मुझे समझ में आता है। मंथरा ने कैकयी को चापलूसी से उकसाया और सारा खेल रच डाला। उसी कोप भवन में श्री राम को वनवास देने का वचन राजा दशरथ ने कैकयी को दे दिया। जिस कोप भवन को दशरथ ने भलाई और न्याय के लिए बनवाया था वहीं दुर्भाग्य का जन्म हुआ। नकारात्मक ऊर्जा ने अपना प्रभाव दिखा ही दिया।     मुझे इस छोटे से दृश्य से ये लगता है कि नकारात्मक ऊर्जा बाहर से ही मन में पहुंचती है। मन का स्वभाव हमेशा सकारात्मक ऊर्जा पैदा करना होता है। हमारी ही कोई कमजोरी होती है जो मंथरा बन हमारी अच्छी सोच का ह्रास करती है। जरूरत है अपनी कमजोरियों को समझने और स्वीकार करने की।      राजा कोप भवन की नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को बाहर आने से नहीं रोक सके लेकिन कैकयी रोक सकती थी खुद को.....मंथरा के प्

जो थे रक्षक..

जो थे रक्षक, जब भक्षक बन जाए तब कहो, कैसे बेटियां उड़ान भर पाए खुद को शेर कहने वाले जा मिले गीदड़ों की उस टोली में जहां बंट रही थी बोटियां चीख रही थी बेटियाँ हत्या न्याय की हो चुकी वहीं उसी पल छल एक ये भी कि,सुखद होगा आने वाला कल....???

बहुत नासमझ हूँ

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बहुत नासमझ हूँ ... ज़िन्दगी में ज़िन्दगी ढूंढती हूँ। सहरा में समंदर ... अंधेरों में रौशनी ढूंढती हूँ। आँखों में ख़ुशी ... दिलों में सच्चाई ढूंढती हूँ। शख्सियत में ईमान ... मुखौटों में इंसान ढूंढती हूँ। बहुत नासमझ हूँ ... ज़िन्दगी में ज़िन्दगी ढूंढती हूँ । ... Durga

वो पल जिन्दगी थे

जिन्दगी...जिसे सोचने में एक पल लगता है, जीने में उम्र लग जाती है। हर दिन बीते हुए दिन से बेहतर कैसे जिएं इसी सोच में पल निकल जाते हैं और जब हम मुड़कर देखते हैं तो पाते हैं कि जिन पलों को हम तलाश करते फिर रहे थे वो तो हमारे हाथ छूं कर निकल भी गए। वो ही तो थे जिस पल हम और ज्यादा खुश हो सकते थे, जब हम अपने रूठे लोगों को मना सकते थे,वही तो पल थे जिसे हम हमेशा से जीना चाहते थे। वो पल जिन्दगी थे।   बहुत आगे निकल आए हैं अब पीछे जाना मुमकिन नहीं। अब तक खुशियों की तलाश में आगे भागते रहे और अब उन्हीं पलों को समेटने रूक कर पीछे भागना चाहते हैं...अब भी सोच रहे हैं काश वो वक्त वो पल एक बार लौट आता, इसी सोच में फिर से आज का एक और बेहतरीन पल याद बनने जा रहा है...