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Showing posts from February, 2019

इतिहास हूँ मैं

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बहुत कुछ रह जाता है कहे और अनकहे के बीच वही शब्द हूं मैं! बहुत कुछ छूट जाता है रूठने और मनाने के बीच वही पल हूं मैं! बहुत कुछ खो जाता है सच और झूठ के बीच वही भाव हूं मैं! इतिहास हूँ मैं! ... Durga

सिलसिला

इस पार कोई बसता है उस पार कोई उजड़ता है इस उजड़ने और बसने का सिलसिला जाने कब तक चलता है इस पार कोई हँसता है उस पार कोई रोता है इस रोने और हंसने का सिलसिला जाने कब तक चलता है इस पार कोई गाता है उस पार कोई मौन गहराता है इस गाने और मौन होने का सिलसिलाा जाने कब तक चलता है जाने कब तक चलता है जीवन से मृत्यु फिर मृत्यु से जीवन यूँ ही चक्रव्यूह सा जाने कब तक ख़ुद को छलता है !

हो तो यूँ भी सकता था

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हो तो यूँ भी सकता था कि मैं नदी सी बहती तुम किनारा बन मेरे साथ साथ चल सकते थे! मगर तुम पुल बने रहे दूर खड़े रहे और मैं निकल गई तुमसे काफी दूर अकेले! मै हर पल तुम्हें स्पर्श कर बहती रही अपनी दिशा में और तुम देखते रहे मुझे हर पल दूर जाते हुए! हो तो यूँ भी सकता था कि किनारा नहीं तो तिनका बन कर ही सही मेरे साथ बह सकते थे! लेकिन ऐसा होना शायद संभव ही न था, क्यूँकि तुम पुल और तिनके का गणित अच्छे से जानते थे! ... Durga