Posts

Showing posts from May, 2021

लौट चलें

  जहां पंछी सुबह जगाते हैं  जहां नदियां- झरने शोर मचाते हैं जहां गीत गाते हैं जंगल  जहां आवाज लगाते हैं बादल आ चल, लौट चलें वहाँ  जहां से मौसम हमें बुलाते हैं...  आ चल, लौट चलें वहाँ  जहां से चले थे...  जहां अब भी सादगी है जीवन में  जहां अब भी भोलापन है सीरत में  जहां दुख में भी सब अपने हैं  जहां लोग बेगाने कोई नहीं  आ चल, लौट चलें वहाँ  जहां से पर्वत हमें बुलाते हैं..  आ चल, लौट चलें वहाँ  जहां से चले थे... 

मौसम मेरे शहर का

Image
  बड़ा ही बेमिसाल, बड़ा सुहाना है, मौसम मेरे शहर का, एक पुराना, गुजरा ज़माना है,  मौसम मेरे शहर का,   कोई बीती हुई बात, या किस्सा है, मौसम मेरे शहर का,  मेरी जिंदगी का, जैसे हिस्सा है, ये मौसम मेरे शहर का! 

भोले तेरा नाम

Image
बनारस सी सुबह हो ... हरिद्वार सी हो शाम ...  चलता रहे जीवन मेरा ...  भोले लेकर तेरा नाम ... 

हम हारे नहीं हैं

Image
काल बना  विकराल,  उ ठाए अपना भाल,  मचा रहा  हाहाकार,  हम थके हैं,  थक कर गिरे हैं,  पर इस काल से डरकर हम झुके नहीं है!  फैल रहा अंधकार,  हर तरफ़ लोगों की करुण पुकार,  दे रही मानवता का कलेजा फाड़,  हम थके हैं,  थक कर रुके हैं,  पर इस काल से डरकर हम पीछे मुड़े नहीं हैं!  इसे खत्म होना होगा,  क्योंकि.....  इस से डरकर हम अब तक हारे नहीं हैं!  ... Durga