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जीवन बस दो दिन का मेला रे

धूप और छाँव का खेला रे जीवन बस दो दिन का मेला रे बढ़ते जाओ चलते जाओ मजदूर का जैसे ठेला रे थकना तो भी रुकना ना हारना तो भी डरना ना सांसों की डोर पर धड़कन का रेला रे जीवन बस दो दिन का मेला रे मिलना बिछड़ना, बिछड़ के मिलना जैसे मौसम बदले चोला रे जीवन बस दो दिन का मेला रे ... Durga

नज़रिया साफ है

अच्छाई इतनी हैं, कि बुराई, ढूंढने से भी नहीं मिल रही! बुराइयां इतनी हैं, कि अच्छाइयां ढूंढने से भी नहीं मिल रही! फिर भी हर बार, बराबर कसे जाओगे कसौटी पर, क्योकि, नज़र भी हमारी ठीक है, और नज़रिया भी साफ है!

होली

अबकी होली ऐसी खेलें, तन संग मन भी रंग लें, चाहे जो भी रंग लगालें, पर प्रेम का रंग ना भूलें! रंग दें धरती, रंग दें अंबर, रंग दे सात समंदर! रंग दे काले मन अपने, रंग दे उजले तन, रंग दे सपनों भरा यह जीवन! रंग ही रंग बरसे ऐसे, जैसे संग आए बसंत और सावन! अबकी होली ऐसी खेलें, तन संग मन भी रंग लें, चाहे जो भी रंग लगालें, पर प्रेम का रंग ना भूलें! अपने रंग दें, पराए रंग दें, रंग दें दोस्त और दुश्मन! राग रंग का त्योहार है होली, भेद भाव सब जाएँ भूल! रंग बिरंगे सब रंग जाएं, कोई अछूता ना रह पाए! फाग के रंग में झूम झूम, नाचे ऐसे सब जन, जैसे झूमे बिना खोट के नन्हा प्यारा बचपन! अबकी होली ऐसी खेलें, तन संग मन भी रंग लें, चाहे जो भी रंग लगालें, पर प्रेम का रंग ना भूलें!