फाउंटेन पेन
मेरी ज़िन्दगी की बेहतरीन यादों में से एक फाउंटेंन पेन। फाउंटेन पेन मुझे हमेशा बहुत अच्छे लगते हैं। कहीं भी दिख जाएं तो मेरा ध्यान खींच ही लेते हैं। एक छोटी सी घटना जब मैं और मेरी बहन तीसरी कक्षा में पढ़ते थे तब की मुझे याद आती है। उन दिनों बांस की कलम से या होल्डर पेन से लिखने की अनुमति होती थी। डॉट पेन और फाउंटेन पेन दिख जाए किसी बच्चे के पास तो सजा तो मिलती ही थी साथ में पेन भी जब्त हो जाया करते थे। पता नहीं बाद में वापस ले भी सकते थे या नहीं ये जानने की कोशिश नहीं की कभी। तो हुआ यूं कि पापा के पास बहुत सुन्दर फाउंटेन पेन थे उनमें से मैंने और बहन ने एक एक रख लिए शायद इसलिए क्यूँकि पापा की लिखावट बहुत सुन्दर है और हमें लगता था उस पेन से हमारी भी लिखावट सुन्दर हो जाएगी। मेरे पास काले रंग का सुंदर पेन था। अगले दिन पेन लेकर पहुंच गए स्कूल और कक्षा में पकड़े गए पेन से लिखते हुए। बस फिर हथेली पर एक दो बांस की छड़ी पड़ी और पेन टीचर ने अपने पास अपने बैग में रख लिए। पूछने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाए कि पेन ले सकते हैं वापस कि नहीं। मुझे मारा खाने का बुरा नहीं लग रहा था मगर पेन खोना बहुत बुर