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Showing posts from June, 2019

ज़िन्दगी सफ़र

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ज़िन्दगी कितना कुछ लिखूं तेरे बारे में  फिर भी हर बार हर बात अधूरी सी लगती है.. सफर लम्बा हो या छोटा हो इससे फर्क अब नहीं पड़ता , जब से जाना है कि सफर में मजा है, मंजिल में नहीं.. मंजिल सफर का अंत कभी नहीं होती बल्कि वहां से और नए रास्ते एक और  नए सफर की तरफ इशारा करती हैं, और हम चाहें ना चाहें हमें बस चलना होता है.. इसलिए ज़िन्दगी बस सफर है! आज जहां हम खड़े हैं वहां से ज्यादा दूर नहीं बस दो चार साल पीछे भी देख लें मुड़कर तो लगता है कितना कुछ बदल गया! मौसम, रिश्ते, शहर, दुनियां, जीने का तरीका, भावनाएं सब बदल गया...पर फिर भी मैं कहती हूँ मुझे ज़िन्दगी से प्यार है, क्योकि मुझे सफर पसंद है! मुझे पसंद है ज़िन्दगी उतनी ही जितनी किसी शानदार, चमकदार, भीड़ भाड़ वाले शहर के मुकाबले गाँव की पतली धूल भरी पगडंडी पर पैरों की थाप से धूल उड़ाकर चलना पसंद है! मुझे पसंद है डूबते सूरज को ये कहना कि कल फिर मिलेंगे, और पसंद है प्रकृति से संवाद करना फिर चाहे वो मेरी भाषा जानते हो या ना जानते हों! मुझे पसंद है ये पहाड़, नदियां, फूल, तितलियाँ जो मेरी ही तरह बस सफर कर रही है, मेरी ही तरह समय यात्री हैं!

मजदूर

मजदूर है मजबूर है मेहनत से वो चूर है! सपना है नीद नहीं, सफर है मंजिल नहीं, आखरी साँस तक किस्मत में बस फ़रमान ही फ़रमान हैं! सुबह भी है शाम भी है बस काम ही काम है पल भर को ना आराम है! मन मरता है तन बोझ से टूट जाता  है फिर भी जीने का अरमान है! . .. Durga

बचपन की नन्ही चिड़िया

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बचपन की नन्ही चिड़िया तुम अब भी कितनी नन्हीं हो मैं अब भी तुम्हें देख के उस नीले आसमान में  उड़ना चाहती हूं और देखना चाहती हूं  कि वहां से तुम क्या  धरती को  खुद से छोटा  महसूस करती हो ? ... Durga      

ढूंढना हो मुझे तो

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ढूंढना हो मुझे तो,  उस गली के मोड़ तक देख आना,  जिस गली में अब चंद लोग ही रहते हैं!  सच की खुशबू में लिपटे गीत,  सुन सको,  तो बढ़ चले आना मोड़ से आगे!  वफादारियों के किस्से,  सुन सको,  अपने बेईमान कानों से,  तो बढ़ चले आना मोड़ से आगे! . .. Durga