ख़याल

ख़यालों की दुनियां भी कितनी अजीब है... एक ख़याल मन से गया नहीं की दूसरा मन में ऐसे समाने लगता है जैसे सदियों से यही तो चाहिए था, और या ऐसे जैसे कोई जबर्दस्ती दरवाजा तोड़ कर भीतर दाखिल होना चाहता हो जिसे हम आने देना ही नहीं चाहते हों... ख़यालों की दुनियां सच में बड़ी अजीब है... पल भर में बेगाने भी अपने और अगले ही पल अपने भी बेगाने.. कभी झपट कर पा लेना चाहते हैं सारी दुनियाँ, और कभी सब कुछ लुटा देना चाहते हैं उन पर जो दिल के सबसे करीब हैं...कई बार इन्ही ख़यालों में तुझे पाया सबसे बेहतरीन और सबसे करीब मैंने, जैसे कभी बिछड़ना ही ना हो... तुझ से जुड़ा हर ख़याल वाकई बहुत खूबसूरत होता है... लेकिन सबसे भयानक, सबसे डरावना ख़याल भी तुझसे ही  जुड़ा है... तुझसे बिछड़ने का ख़याल सच में बहुत डरावना है...मेरे ख़यालों की दुनियां में एक ख़याल ये भी कि तू कभी ख़यालों में भी दूर ना जाए... 

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