मैंने पढ़ा है
मैने पढ़ा है विज्ञान
मगर मैं उतना ही विज्ञान समझना चाहती हूं
जहां तक वो प्रेम को परिभाषित ना कर पाए।
मैंने पढ़ा है गणित
मगर मैं उतना ही गणित समझना चाहती हूं
जहां तक प्रेम को किसी समीकरण में ना उलझाए।
मैंने पढ़ा है भूगोल, इतिहास
मगर मैं उतना ही भूगोल, इतिहास समझना चाहती हूं
जहां तक प्रेम को निश्चित समय और काल में ना रखा जाए।
मैंने पढ़ा है अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र
मगर मैं उतना ही अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र समझना चाहती हूं
जहां तक प्रेम को फायदे नुकसान में ना तोला जाए,
और किसी के जज्बात को धर्म जाती के नाम पर ना टटोला जाए।
चेहरे पढने से पहले मैंने पढ़ी हैं कई किताबें
मगर मैं उतना ही किताबी होना चाहती हूं जितना कि मेरा मन किसी मासूम की हंसी और बेगुनाह के आंसू को समझ पाए।
मगर मैं उतना ही विज्ञान समझना चाहती हूं
जहां तक वो प्रेम को परिभाषित ना कर पाए।
मैंने पढ़ा है गणित
मगर मैं उतना ही गणित समझना चाहती हूं
जहां तक प्रेम को किसी समीकरण में ना उलझाए।
मैंने पढ़ा है भूगोल, इतिहास
मगर मैं उतना ही भूगोल, इतिहास समझना चाहती हूं
जहां तक प्रेम को निश्चित समय और काल में ना रखा जाए।
मैंने पढ़ा है अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र
मगर मैं उतना ही अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र समझना चाहती हूं
जहां तक प्रेम को फायदे नुकसान में ना तोला जाए,
और किसी के जज्बात को धर्म जाती के नाम पर ना टटोला जाए।
चेहरे पढने से पहले मैंने पढ़ी हैं कई किताबें
मगर मैं उतना ही किताबी होना चाहती हूं जितना कि मेरा मन किसी मासूम की हंसी और बेगुनाह के आंसू को समझ पाए।
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