डायरी का वो मुड़ा पन्ना
डायरी का वो मुड़ा हुआ पन्ना...
जिस से पहले के सारे पन्ने,
बखूबी अपनी जगह पर है,
बिना किसी सिलवट के!
और रचे गए हैं उनमें क्रम वार,
कई कहानियां, किस्से,
और दर्ज है सहेलियों की हँसी ठिठोली
मेले, दुकानें, झूले,
फूल, तितली,पंछी,
नदी, तालाब, झरने,
किताबों की बातें,
बचपन की यादें,
सब तो लिखा गया है!
स्कूल के बीते हुए दिन,
कॉलेज की दिनचर्या ,
और मासूम प्यार के मासूम किस्से
सब तो मौजूद है!
डायरी का वो मुड़ा हुआ पन्ना...
जिसके ठीक पहले पन्ने पर दिखते हैं,
दुनियाँ से ख़ुद का परिचय करवाने के बुलंद हौसले,
पंख नई उड़ान के!
और दिखती हैं,
अपने ख़याल और ख्वाबों की दुनियाँ को,
हकीकत में उतारने की कई तरकीबें!
कई वर्षों की मेहनत का सफरनामा है वो डायरी!
ज़िन्दगी का हर मोड़,
साफ सीधा पन्ने पर मौजूद है!
मगर शायद कुछ अटक गया था,
तभी वो पन्ना मोड़ा गया था!
और उस से आगे,
वैसा भी ना लिखा गया जैसा पहले लिखा था!
डायरी का वो मुड़ा हुआ पन्ना...
वहीं पर रह गया एक डरा सहमा सा ख्वाब,
शायद कभी कभी मुड़े हुए कोने से झांकता होगा,
मगर फिर दुबक कर छिप जाता होगा,
वही उसी मोड़ के भीतर!
डायरी का वो मुड़ा हुआ पन्ना...
वो डायरी का एक मुड़ा पन्ना मात्र नहीं है,
बल्कि हज़ारों लड़कियों की,
मुड़ी हुई ज़िन्दगी है!
जो आगे तो बढ़ी,
मगर अपना जीवन वही छोड़ आई,
उस मुड़े हुए पन्ने पर!
जिसको हक़ तो था सपने देखने का,
मगर पूरा करने या ना करने का फैसला उसका ना था!
डायरी का वो मुड़ा हुआ पन्ना...
किसी की दुनियाँ थी,
जो वहीं दबी पड़ी है!
मगर किसी के लिए है,
बस डायरी का एक मुड़ा हुआ पन्ना !
... Durga
जिस से पहले के सारे पन्ने,
बखूबी अपनी जगह पर है,
बिना किसी सिलवट के!
और रचे गए हैं उनमें क्रम वार,
कई कहानियां, किस्से,
और दर्ज है सहेलियों की हँसी ठिठोली
मेले, दुकानें, झूले,
फूल, तितली,पंछी,
नदी, तालाब, झरने,
किताबों की बातें,
बचपन की यादें,
सब तो लिखा गया है!
स्कूल के बीते हुए दिन,
कॉलेज की दिनचर्या ,
और मासूम प्यार के मासूम किस्से
सब तो मौजूद है!
डायरी का वो मुड़ा हुआ पन्ना...
जिसके ठीक पहले पन्ने पर दिखते हैं,
दुनियाँ से ख़ुद का परिचय करवाने के बुलंद हौसले,
पंख नई उड़ान के!
और दिखती हैं,
अपने ख़याल और ख्वाबों की दुनियाँ को,
हकीकत में उतारने की कई तरकीबें!
कई वर्षों की मेहनत का सफरनामा है वो डायरी!
ज़िन्दगी का हर मोड़,
साफ सीधा पन्ने पर मौजूद है!
मगर शायद कुछ अटक गया था,
तभी वो पन्ना मोड़ा गया था!
और उस से आगे,
वैसा भी ना लिखा गया जैसा पहले लिखा था!
डायरी का वो मुड़ा हुआ पन्ना...
वहीं पर रह गया एक डरा सहमा सा ख्वाब,
शायद कभी कभी मुड़े हुए कोने से झांकता होगा,
मगर फिर दुबक कर छिप जाता होगा,
वही उसी मोड़ के भीतर!
डायरी का वो मुड़ा हुआ पन्ना...
वो डायरी का एक मुड़ा पन्ना मात्र नहीं है,
बल्कि हज़ारों लड़कियों की,
मुड़ी हुई ज़िन्दगी है!
जो आगे तो बढ़ी,
मगर अपना जीवन वही छोड़ आई,
उस मुड़े हुए पन्ने पर!
जिसको हक़ तो था सपने देखने का,
मगर पूरा करने या ना करने का फैसला उसका ना था!
डायरी का वो मुड़ा हुआ पन्ना...
किसी की दुनियाँ थी,
जो वहीं दबी पड़ी है!
मगर किसी के लिए है,
बस डायरी का एक मुड़ा हुआ पन्ना !
... Durga
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