वो फ्रेम में जड़ा शीशा



वो फ्रेम में जड़ा शीशा
बिखर गया
बिखर जाने दो
मत सोचो

मगर गौर से देखो
उस फ्रेम के अंदर मौजूद
पेंटिंग को
क्या तुम महसूस कर पा रहे हो
अब भी
उसकी खूबसूरती को
उसकी चमक को
क्या वे सादे रँग
अब भी  लगते हैं इंद्रधनुषी तुमको

फ्रेम के टूटे शीशे
और दिल के टूटे रिश्ते
अगर देख सकते हो
एक नज़र से
तो मत सोचो
क्या बिखर गया
संभाल लो उसे
जो बिखरा नहीं


Comments

Popular posts from this blog

कभी कभी

द्वितीय ज्योतिर्लिंग.. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

तृतीय ज्योतिर्लिंग महाकाल या ‘महाकालेश्वर’