Shayari mood
उस नज़र से भी नज़ारे देखे, जो नज़र तुम्हें प्यारी थी,
उस डगर में भी किनारे देखे, जो डगर सिर्फ तुम्हारी थी!
अब शायद ना होगा सफ़र सुहाना, इतना समझ लीजिए,
हमने हर बात में जज़्बात देखे, ये कलाकारी भी तुम्हारी थी!
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सच तो ये भी है ज़माने में,
रिश्ते टूट जाते हैं आज़माने में।
सवाल ये है कि अपना कहें किसे,
अपने तो मिलते हैं बस अफ़साने में।
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राह ये ज़िन्दगी की आसान भी नहीं है,
किसी की ज़मीं तो किसी का आसमान नहीं है!
सफ़र तो करना चाहता है हर कोई शायद,
पर कहीं हमसफ़र नहीं है कहीं मुक़ाम नहीं है!
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यूं भी तेरी दुनियां से प्यार हमने कर लिया,
यादों के समन्दर को तेरे नाम कर लिया!
दरिया से किनारे अब लगते हैं बहुत दूर,
दिले तूफान में मरने का इंतज़ार कर लिया!
अब शायद ना होगा सफ़र सुहाना, इतना समझ लीजिए,
हमने हर बात में जज़्बात देखे, ये कलाकारी भी तुम्हारी थी!
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सच तो ये भी है ज़माने में,
रिश्ते टूट जाते हैं आज़माने में।
सवाल ये है कि अपना कहें किसे,
अपने तो मिलते हैं बस अफ़साने में।
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किसी की ज़मीं तो किसी का आसमान नहीं है!
सफ़र तो करना चाहता है हर कोई शायद,
पर कहीं हमसफ़र नहीं है कहीं मुक़ाम नहीं है!
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यूं भी तेरी दुनियां से प्यार हमने कर लिया,
यादों के समन्दर को तेरे नाम कर लिया!
दरिया से किनारे अब लगते हैं बहुत दूर,
दिले तूफान में मरने का इंतज़ार कर लिया!
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यादें कहाँ किसी को, कभी तन्हां छोड़ती हैं,
लाख कोशिश करो, अपनी ही तरफ़ मोड़ती हैं!
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जहां कदर नहीं वहाँ वास्ता भी रखना क्या,
जहां उम्मीद नहीं वहाँ रास्ता भी तकना क्या!
चाहते हो अगर मंजिल, जिंदगी के सफ़र में,
तो मुर्दादिल लोगों को साथ भी रखना क्या!
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बेईमानों से इमानदारी का सबक लिया नहीं करते,
जलने वालों को दिल का हर राज दिया नहीं करते!
रिश्तों को कुछ लोग, बना देते हैं मोहरे शतरंज की,
ऐसे लोगों से यूँ बेवजह मुलाकात किया नहीं करते!
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बड़ा ही बेमिसाल, बड़ा सुहाना है, मौसम मेरे शहर का,
एक पुराना, गुजरा ज़माना है, मौसम मेरे शहर का,
कोई बीती हुई बात, या किस्सा है, मौसम मेरे शहर का,
मेरी जिंदगी का, जैसे हिस्सा है, ये मौसम मेरे शहर का!
... Durga
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